अरे जूता बनानेवाले कहां हो तुम।
अरे जूता बनानेवाले कहां हो तुम। देखो तेरे बनाये गये जूते की कीमत 50 करोड हो गयी है और तू सो रहा है। अपने जूते की कीमत वसूल भाई और पत्रकार मुंतजिर अल जैदी को रायल्टी देने का वादा कर। नहीं तो तू गरीब है, गरीब ही रह जायेगा। भाई ब्लागरों जूता बनाने वाले को खोजकर उन्हें बताओ की उसके जूते ने क्या कमाल कर दिया है। इतना ही अपनी भी जूता बनाने की कंपनी खोल लो। आने वाले दिन में फिर किसी पत्रकार, नेता या फिर पब्लिक के हाथों ऐसा शुभ कार्य हो गया तो नीलामी में मिलने वाले करोडों रुपये से वंचित हो जाओगे। अब आप कहेंगे कि आप क्यों नहीं बना लेते जूता कंपनी। भाई मैं तो रुई बनाने की कंपनी बना रहा हूं, क्योंकि जूता पडने के बाद जो खून या पसीना निकलेगा, उसकी पोंछाई रुई से ही होगी न। इसीलिये कहते हैं कि सिर्फ जख्म ही नहीं दो, मरहम भी लगाओ भाई।
5 comments
bahut khub.
ज़ारी रहें!
कीमत जूत की नही उसे मारने वाले जज्बे को दी गई है।
महाशक्ति
जूते की कीमत जब उछले तभी होती है , बहुत खूब लिखा है । वैसे जिस कम्पनी का जूता रहा होगा यदि वो कम्पनी इस बात को प्रचारित करे तो इस मंदी में उनकी सेल बढ जायेगी ।
क्या रुई की कीमत भी इससे तय होगी कि
किसको धो कर पोंछा गया है :)
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