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केडिया बंधु को ‘झारखंड रत्न’ का सम्मान

शास्त्रीय संगीत जगत में केडिया बंधु के नाम से विख्यात गिरिडीह के सितार व सरोद वादक पंडित मोरमुकुट केडिया व पंडित मनोज केडिया को लोक सेवा समिति ने झारखंड का सर्वाेच्च नागरिक सम्मान ‘झारखंड रत्न’ से सम्मानित किया। रांची में रविवार को समिति की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर केडिया बंधु के अलावा परमवीर शहीद अल्बर्ट एक्का, हजारीबाग के उपायुक्त मुकेश कुमार, कोडरमा के डाॅ विवक कुमार मोहन, उमर सदाब हाशमी, गौरव कुमार अरारिया, विनोद कुमार भगेरिया, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव आराधना पटनायक, वैद्यनाथ कुमार, रेबा चक्रवर्ती, मो.साबिर हुसैन, कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो, सेवानिवृत आइएएस एमपी अजमेरा, डॉ0 मो. यासीन कासमी, समर बसु मल्लिक, चंद्रभूषण मिश्र, डॉ0 महेंद्र कुमार राज, शांति किंडो और मो0 इस्लाम खान को झारखंड रत्न से सम्मानित किया गया। सात लोगों को भारत सेवा रत्न से भी सम्मानित किया गया। सम्मान  कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो, संस्था के संस्थापक अध्यक्ष मो0 नौशाद खान, महासचिव गिरिधारी राम गोंझू, रतन तिर्की ने प्रदान किया।
        केडिया बंधु के नाम यह उपलब्धि जुड़ना गिरिडीह ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड के लिए गौरव की बात है। इसके पहले केडिया बंधु को प्रसार भारती ने आकाशवाणी व दूरदर्शन के टॉप ग्रेड कलाकार की उपाद्यि से सम्मानित किया है। झारखंड के इतिहास में पहली बार कोई कलाकार आकाशवाणी और दूरदर्शन के टॉप ग्रेड के कलाकार बने हैं। अभी हाल ही में केडिया बंधु को वर्द्धमान में गंधर्व सम्मान मिला। झारखंड सरकार ने सांस्कृतिक सम्मान भी केडिया बंधु को प्रदान किया है। 19 मार्च को पटियाला और चंडीगढ में भी इन्हें
सम्मानित किया गया।
बताते हैं कि केडिया बंधु मैहर घराना के युवा कलाकार हैं. झारखंड के गिरिडीह शहर में पैदा हुए और बचपन से ही पिता पंडित शंभूदयाल केडिया के सानिध्य में रहकर संगीत की तालीम ली. तालीम के दौरान ही प्रसिद्ध
संगीतज्ञ स्वामी पागलदास मृदंगाचार्य ने इन्हें ‘केडिया बंधु’ की उपाधि दी और फिलहाल यह नाम देश-विदेश में विख्यात हो गया है. बचपन में पांच वर्षों तक केडिया बंधु को संगीतज्ञ प्रजानंदी जी का भी गुरुत्व प्राप्त
हुआ. 1976 में विश्व विख्यात सरोद वादक पद्मभूषण उस्ताद अली अकबर खां का गुरु सानिध्य प्राप्त हुआ. इसके बाद पांच वर्षों तक मैहर घराने के संगीतज्ञ उस्ताद अलाउद्दीन खां के प्रिय शिष्य एसडी डेविड से नियमित दीक्षा ली. फिर उस्ताद अलाउद्दीन खां की पुत्री व पंडित रविशंकर की धर्मपत्नी गुरु मां अन्नपूर्णा से संगीत की शिक्षा ली. तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन, सुखविंदर सिंह पिंकी, वायलिन वादक डॉ एन राजन और पंडित जसराज, व्ही जी जोग व मुंबई के राजाराम शुक्ला का भी इन्हें गुरु सानिध्य प्राप्त है. केडिया बंधु ने पंडित किसन महाराज, पंडित गुंदई महाराज, उस्ताद जाकिर हुसैन, पंडित स्वपन चैधरी आदि विश्वविख्यात तबला वादकों के साथ सफल कार्यक्रम भी पेश किया है.
    केडिया बंधु इंडियन कौंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन के सदस्य हैं. 1996 में राष्ट्रीय युवा महोत्सव में मोरमुकुट केडिया ने सितार वादन में पूरे देश में प्रथम स्थान ‘गोल्ड मेडल’ प्राप्त किया है. मनोज केडिया ने 1992 में प्रयाग संगीत समिति की संगीत प्रवीण एम.ए. में फस्ट क्लास फस्ट फैकल्टी टॉप कर तीन गोल्ड मेडल प्राप्त किया. एक दशक तक अपनी कला से भारतीयों का मन मोह लेने के बाद केडिया बंधु अमेरिका, जर्मनी, चीन गये और वहां सितार और सरोद की युगलबंदी प्रस्तुत कर खूब वाह-वाही लूटी. 2008 में जब केडिया बंधु अमेरिका गये तो वहां लास एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को, टोरंेटो लागबीच, संत बारबरा शहरों एवं कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में उनकी सितार और सरोद की युगलबंदी सुनने के लिए हॉल में संगीत प्रेमियों की भीड़ उमड़ पड़ती थी. केडिया बंधु अमेरिका के पाल लीविंग स्टोन, चाइना की प्रो. लियूइनिंग, जर्मनी के मीको एवं अन्य कलाकारों के साथ देश-विदेश में तीगलबंदी एवं फ्यूजन म्यूजिक प्रस्तुत कर चुके हैं.

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