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बसंत शर्मा का उपन्यास नई डिग्रियां इंटरनेट पर

गिरिडीह के भोरन्डीहा निवासी बसंत शर्मा अब तक 17 उपन्यास, दर्जनों कहानियां व नाटक, सैकड़ों कविताएं और शेरो-शायरी लिख चुके हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कहानियां, कविताएं, शेरो-शायरी प्रकाशित हो चुकी हैं। 17 उपन्यासों में ‘नई डिग्रियां’ जिसमें राजनीति प्रदूषण को चित्रित किया गया है, को मंथन न्यूज डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम में प्रकाशित किया जा रहा है। उनका इ-बुक onlinepublication.in में भी देखा जा सकता है, जिसे युडू डॉट में प्रकाशित किया गया है. तो लिजिये उपन्यास पढ़ने से पहले शर्मा जी का निवेदन और फिर वरिष्ठ अधिवक्ता कंचनमाला की समीक्षा पढ़ें। उसके बाद भाग-1 से लेकर भाग-9 तक अलग-अलग पन्नों में उपन्यास का आनंद लें।
सुनील मंथन शर्मा

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निवेदन
इस उपन्यास में मैंने आज के राजनैतिक प्रदूषण को चित्रित करने का प्रयास किया है। राजनीति आज छल-कपट, धोखा-फरेब, घात-प्रतिघात और विश्वासघात की राजनीति बन गयी है। राजनैतिक भ्रष्टाचार और स्वार्थपरता एकदम पराकाष्ठा पर है। लेकिन नयी पीढ़ी के प्रवेश से इस गहन राजनैतिक अंधकार में अब प्रकाश की किरणें फूटने के लिए सुगबुगाने लगी है। इससे मेरा यह अनुमान ही नहीं बल्कि विश्वास है कि यह राजनैतिक अंधकार अब शनैः-शनैः छंट जायेगा और राजनीति पुनः परिष्कृत हो जायेगी।
इन्हें चित्रित करने में मैं कहां तक सफल हुआ हूं यह तो पाठकगण ही बता सकेंगे। मुझे उनकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
लेकिन मेरा यह निवेदन अधूरा रह जायेगा यदि मैं गिरिडीह की वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमती कंचनमाला, अजीडीह-गिरिडीह के सेवानिवृत्त शिक्षक पंडित श्री सीताराम त्रिवेदी एवं प्रभात खबर के सब-एडिटर श्री सुनील मंथन शर्मा के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट नहीं करूं तो। श्रीमती कंचनमाला एवं पंडित श्री सीताराम त्रिवेदी ने मुझे उपन्यास लेखन के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया एवं कर ही रहे हैं। अलावे जहां श्रीमती कंचनमाला ने मेरी रचनाओं की समीक्षा कर उन्हें परिष्कृत किया, वहीं पंडित श्री सीताराम त्रिवेदी जी ने मेरी रचनाओं में उद्धृत संस्कृत श्लोकों का संपादन कर उन्हें संवारा। श्री सुनील मंथन शर्मा के अथक प्रयास से यह रचना प्रकाश में आयी है। अतः इन शुभचिंतकों के प्रति मैं जितनी भी कृतज्ञता प्रकट करूं, कम ही होगा। आशा है मेरे शुभचिंतक मुझ पर सदा कृपा दृष्टि रखेंगे। धन्यवाद।
बसंत शर्मा
लेखक

‘‘नई डिग्रियां’’ प्रदूषित राजनीतिक वातावरण का जीवन्त चित्रण
प्रस्तुत उपन्यास ‘‘नई डिग्रियां’’ अब के प्रदूषित राजनीतिक वातावरण का जीवन्त चित्रण है। लेखक ने युवा शक्ति के माध्य से वर्तमान राजनीति के कुत्सित एवं घृणित चेहरे को उजागर करने का अनोखा प्रयास किया है, सत्ता हथियाने के लिए हमारे तथाकथित राजनीतिक नेतागण जहां एक ओर ‘‘साम, दाम, दंड, भेद’’ को अपनाने से जरा भी नहीं हिचकिचाते, वहीं अपने अनुचित लक्ष्य को पाने के लिए युवा शक्ति अथवा छात्र वर्ग का अनुचित उपयोग करने से भी नहीं चूकते। ऐसे राजनीतिक उठा-पटक का जीवंत प्रसंगों द्वारा वर्णन करने में लेखक ने अपनी विलक्षण लेखन प्रतिभा का परिचय दिया है, जो निश्चित ही प्रशंसनीय है, साथ ही लेखक का यह प्रयास समय की कसौटी पर भी बेहद प्रासंगिक हो उठा है। इन सब घटनाक्रमों के बीच राजनीति और कूटनीति की मैली गंगा से निकलकर नायक का समाज को एक नई दिशा देने का संकल्प राजनीति के उज्ज्वल पक्ष की ओर इंगित करता है, जो निश्चय ही हमारे भावी राजनीतिज्ञों के लिए अनुकरणीय है।
लेखक ने अपने उपन्यास के पात्रों को केवल कल्पना की उड़ान नहीं दी है, बल्कि उसके पात्र वास्तविकता के धरातल से अथवा आसपास घट रहे घटनाक्रम के प्रति भी पूरी तरह संवेदनशील हैं। राजनीति के दुरुह दांव-पेच का विस्तृत वर्णन जहां एक ओर लेखक की पैनी राजनीतिक समझ का परिचायक है, वहीं दूसरी ओर कथानक के बीच यदा-कदा कविता का पुट लेखक की काव्यात्मक प्रतिभा को दर्शाता है। पुस्तक की भाषा अत्यंत सरल, किंतु रोचक है और सुविज्ञ पाठकों को अंत तक बांधे रखने में पूरी तरह सक्षम है,
ऐसे सामयिक और बेबाक लेखन के लिए लेखक बसंत शर्मा जी निश्चय ही साधुवाद के पात्र हैं।
कंचनमाला
अधिवक्ता, गिरिडीह कोर्ट

अब उपन्यास नई डिग्रियां को भाग-1 से लेकर भाग-9 तक क्लिक करते हुए पढ़ें


नई डिग्रियां (भाग-1)
नई डिग्रियां (भाग-2)
नई डिग्रियां (भाग-3)
नई डिग्रियां (भाग-4)
नई डिग्रियां (भाग-5)
नई डिग्रियां (भाग-6)
नई डिग्रियां (भाग-7)
नई डिग्रियां (भाग-8)
नई डिग्रियां (भाग-9)

उपन्यास वर्चस्व के कुछ अंश: लेखक बसंत शर्मा

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