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तुमसे एक गुजारिश है कि

मौत
तू जाना अपनी जगह
पर,
तुमसे एक गुजारिश है कि
जाने से पहले
मुझे फिर से एक जिंदगी दे जाना
कि जी सकूं तेरे दुश्मन-संघर्षों के साथ
कि जी सकूं वक्त के थपेड़ों, दम घुटती सांसों के साथ
और
बनाउं एक ऐसा जीवन
जहां आने से पहले तेरी रूह कांपें
मुझे ले जाने से पहले
तेरी आंखें गीली हों
और
संघर्ष के जीवन को सलाम करने के लिए
स्वतः उठे तेरे हाथ

8 comments

daanish said...

"aur sangharsh ke jivan ko salaam karne ke liye svat: utheiN tere haath...."

ek kaamyaab nazm.......
zindgi phalasphe aur nazariye dono ko byaan karte hue shabd...
abhivaadan svikaarieN.
---MUFLIS---

L.Goswami said...

इतने दिन बाद आपको देख कर अच्छा लगा

अभिषेक मिश्र said...

Bhavpurn rachna.

राकेश कुमार सिन्हा said...

bahut achchha.

Randhir Singh Suman said...

संघर्ष के जीवन को सलाम करने के लिए
स्वतः उठे तेरे हाथ.
nice

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

तुमसे गुजारिश है,
अच्छी कविता है .शसक्त अभिव्यक्ति के लिये शुभकामनाये ,
साहित्य मे नये प्रतिमान बनाये.

HelMandu said...

बहुत खुब है आपका रचना हम फिर भी इसी तरहका रचनाएं पढ्नेकि लिएर तरस रहिगें

chetan vikram said...

behad sundar rachna..

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