तुमसे एक गुजारिश है कि
मौत
तू जाना अपनी जगह
पर,
तुमसे एक गुजारिश है कि
जाने से पहले
मुझे फिर से एक जिंदगी दे जाना
कि जी सकूं तेरे दुश्मन-संघर्षों के साथ
कि जी सकूं वक्त के थपेड़ों, दम घुटती सांसों के साथ
और
बनाउं एक ऐसा जीवन
जहां आने से पहले तेरी रूह कांपें
मुझे ले जाने से पहले
तेरी आंखें गीली हों
और
संघर्ष के जीवन को सलाम करने के लिए
स्वतः उठे तेरे हाथ
8 comments
"aur sangharsh ke jivan ko salaam karne ke liye svat: utheiN tere haath...."
ek kaamyaab nazm.......
zindgi phalasphe aur nazariye dono ko byaan karte hue shabd...
abhivaadan svikaarieN.
---MUFLIS---
इतने दिन बाद आपको देख कर अच्छा लगा
Bhavpurn rachna.
bahut achchha.
संघर्ष के जीवन को सलाम करने के लिए
स्वतः उठे तेरे हाथ.
nice
तुमसे गुजारिश है,
अच्छी कविता है .शसक्त अभिव्यक्ति के लिये शुभकामनाये ,
साहित्य मे नये प्रतिमान बनाये.
बहुत खुब है आपका रचना हम फिर भी इसी तरहका रचनाएं पढ्नेकि लिएर तरस रहिगें
behad sundar rachna..
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